जिस तरह क़रोना महामारी से निपटने के लिए पूरी दुनिया में हमारे प्रधान मंत्री माननीय मोदी जी की वाहवाही हो रही है , वो पूरे देश के लिए गौरान्वित करने वाली है । जिस तरह मोदी सरकार ने आगे बढ़ कर इस महामारी से लड़ाई छेड़ी जो काफ़ी हद तक क़ामयाब भी हुई उसी तरह सरकार को आने वाली आर्थिक महामारी से भी एक कदम आगे बढ़ कर लड़ना होगा ।
क़रोना महामारी से जन हानि के बाद जो सबसे बड़ी चोट पड़ने वाली है वो है अर्थव्यवस्था पे। जिसके लिये वैसे ही सरकार पिछले दो साल से जूझ रही थी। उस पे इस क़रोना ने और क़हर ढा दिया है ।सरकार ने कई कमेटी भी बनाई है , जो लगातार इस के लिए सभी सम्भावनाओँ पे विचार कर रही है ।
क़रोना महामारी के बाद ज़िंदगी दुनिया एक बर फिर से नयी तरह से शुरू होगी । अन्य देशों से एक अलग तरह से नयी दोस्तियाँ बनेग़ी । और सरकार का ये पूरा ज़ोर होगा कि चीन से अपनी इण्डस्ट्री बंद करके नयी जगह नया देश ढूँढने वाले लोगों की पहली पसंद भारत हो । लेकिन उसके लिये ज़रूरी होगा कि देश में उनके उत्पादन की माँग हो , माँग बढ़े । और उसके लिये लोगों के पास खर्च करने की क्षमता हो , आमदनी हो ये बहुत ज़रूरी होगा ।
पिछले दिनों आयी एक रिपोर्ट के अनुसार इस लॉकडाऊन के ४० दिनों के दौरान लोगों ने बैंक और एटीएम से अपने खर्चे के लिये लगभग 10 लाख करोड़ रुपये नगद निकाल लिए । और ये तब है ,जब कि रिज़र्व बैंक के अनुसार , लगभग 23 लाख करोड़ रुपये , नगद लोगों के पास मौजूद है ।इसका मतलब हुआ कि ये 23 लाख करोड़ सब लोगों के मध्य मौजूद नहीं है । बल्कि इतनी बड़ी रक़म नगदी के तौर पे सिर्फ़ कुछ लोगों के पास मौजूद है । और यही कैश २३ लाख करोड़ रुपये , आने वाली आर्थिक मंदी को दूर करने में बहुत बड़ा योगदान दे सकती है । इसी नगद कथित “ब्लैक मनी ” को बाहर लाने के लिए सरकार ने बहुत प्रयास किए , (स्वयं घोषित योजना ) लाकर. उनको कई बार मौक़े दिए , लेकिन उसका अपेक्षित परिणाम ना देख के आख़िर कार सरकार ने ” नोट बंदी ” जैसा कड़ा और जोखिम भरा निर्णय लिया ।जिसमें कुछ सफलता तो ज़रूर मिली । लेकिन अभी भी लगभग २३ लाख करोड़ नगद कुछ लोगों ने दबा
रखें हैं । सरकार को इसी दबी छिपी कथित ” ब्लैक मनी” को बाहर लाने की जो भी सम्भव हो कोशिश करनी चाहिये ।क्यूँकि इतनी बड़ी रक़म डूबती अर्थव्यवस्था को रॉकेट की तरह गति दे देगा । और इस को बाहर लाने का एक मात्र
रास्ता है रियल इस्टेट और एंटर्टेन्मेंट इंडस्ट्री ।
आर्थिक मंदी के कारण पहले से चली आ रही मंदी और उस पर लॉकडाऊन की वजह से सारा काम काज का ठप हो जाना । जिसकी वजह से लोगो की आमदनी और उसका जरिया दोनों का ख़तम होते जाना है ।जब तक लोगो के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं होंगे तब तक बाजार में चढ़ाव और स्थिरता दोनों ही आना नामुमकिन है|
पिछले कुछ समय से बाजार में आ रही मंदी का सबसे बड़ा कारण रियल एस्टेट में लगातार आ रही गिरावट है | रियल एस्टेट इकलौती ऐसी इंडस्ट्री है जिससे परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सीधे 250 इंडस्ट्रीज जुडी है ।रियल एस्टेट में गिरावट की वजह से उन 250 इंडस्ट्रीज के उत्पादन की मांग लगातार कम होती गयी । जिसकी वजह से वो इंडस्ट्रीज धीरे धीरे घाटे में जाने लगी| उनके लिए आवश्यक कच्चे माल की मांग कम हो गयी । जिस वजह से वो छोटी इंडस्ट्री भी बंद होने के कगार पर आ गयी । उत्पादन कम होने की वजह से कर्मचारियों की छटनी होने लगी लोग बेरोजगार होते चले गए ।और उनकी आमदनी का जरिया भी ख़त्म हो गया |
रियल एस्टेट एक ऐसा व्यापर है , जिसमे पैसो का वितरण बहुत ही व्यवस्थित रूप से होता है, उदाहरण तौर पे इस व्यापर में पहला पैसा किसान को जाता है (भूमि क्रय हेतु ) दुसरा पैसा समाज के सबसे गरीब तबके मजदूर को जाता है (निर्माण हेतु), तीसरा पैसा राजगीर (मिस्त्री) फिर आर्किटेक्ट, इंजीनियर्स, ठेकेदार उसके उपरांत अन्य इंडस्ट्रीज जैसे सीमेंट,सरिया, ईटा (ब्रिक्स), मोरंग, बालू, पेंट, सेनेटरी, इलेक्ट्रिकल, प्लम्बिंग, टाइल्स, उसके उपरांत लाइट,पंखे, एयर कंडीशनर, इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज जैसे टीवी, माइक्रोवेव और फिर फर्नीचर इंडस्ट्री जैसे बेड, सोफ़ा, कुर्सी, मेज, पर्दा, चादर, तकिया, गद्दा और अन्य साज – सज्जा की तमाम इंडस्ट्रीज | रियल एस्टेटमें आई मंदी की वजह से इन समस्त उद्योगों में गिरावट और मंदी आती चली गयी, जिसकी वजह से मंदी और बेरोजगारी लगातार बढती जा रही है
रियल एस्टेट ही एक ऐसा व्यापार है , जो देश के सभी वर्गों के 75% से ज्यादा लोग परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़े होते है जैसे परोक्ष रूप से ब्रोकर से लेकर विकास कर्ता तक | और अपरोक्ष रूप से देश का हर नागरिक जिसके पास १ लाख रुपये तक की अतिरिक्त पूंजी एकत्रित होती थी, वो अपनी क्षमता अनुसार भूमि/भवन में निवेश करता था चाहे वो चपरासी,कर्मचारी, बाबू, अधिकारी , व्यापारी और राजनितिक व्यक्ति हो, जिससे उनको चन्द वर्षो में ही अतिरिक्त लाभ हो जाता था ।और उनकी आमदनी 2 गुना से लेकर 10 गुनी तक बढ़ जाती थी इसी वजह से उनकी खरीददारी और खर्च करने की क्षमता बहुत बढ़ गयी थी । और इसी लिये विदेशी कंपनियो को हिंदुस्तान निवेश करने के लिए बहुत बड़ा बाजार नजर आने लगा था | लेकिन रियल एस्टेट व्यापार में मंदी आने की वजह से धीरे धीरे कर लोगो की आमदनी का जरिया बंद हो गया और उनकी आमदनी सीमित हो गयी और इसी लिए उनके खर्च करने की क्षमता ख़त्म होती जा रही है , फक्ट्रियांबंद होने की कगार पर आती जा रही है और बेरोजगारी बढती जा रही है |
यह पूरी तरह तय है , कि देश में आयी इस आर्थिक मंदी को ख़तम करने के लिए और देश की तमाम इंडस्ट्रीज, रोजगार को बचाने के लिए रियल एस्टेट / व्यापार को संभाल कर ऊपर ले जाना होगा |
सरकार को विचार कर के भूमि / भवन में क्रय हेतु आयकर विभाग द्वारा लगाये गए २० हजार रुपये नगद सीमा को ख़त्म कर देना चाहिये । ताकि नगद अथवा चेक किसी भी माध्यम से लोग भूमि / भवन क्रय कर सके. और यही एक रास्ता है जिससे भ्रष्ट कर्मचारी , अधिकारी, व्यापारी एवं राजनितिक व्यक्तिओ का दबाया हुआ काला धन बाजार में वापस आ जाए ।
एक बार दबा हुआ काला धन बाजार में वापस आ जायेगा तो लोगो में क्रय करने की क्षमता बढ़ जाएगी और डूबती हुयी इंडस्ट्रीज के लिए संजीवनी का काम करेगा |हो सकता है 20 हजार रुपये की नगद सीमा हटाये जाने से भूमि / भवन क्रय में काले धन का उपयोग काफी हद तक बढ़ जायेगा लोग निर्धारित सरकारी क्रय मूल्य पर ही क्रय करना दिखाने लगेंगे । परन्तु तब भी बाजार में धन वापस आएगा , भूमि / भवन का क्रय -विक्रय बढ़ जायेगा जिससे सरकार को स्टाम्प शुल्क के रूप में अधिक राजस्व की आमदनी होगी, लोगो के पास लिक्विडिटी आने से उनकी क्रय और खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी जिससे सरकार को अधिक GST के रूप में राजस्व भी बढेगा और तमाम डूबती हुयी इंडस्ट्रीज को फिर से जीवित होकर उन्नति करने का अवसर मिलेगा |और रोज़गार भी बढ़ेगा ।
तदोपरान्त इस काले धन को रोकने के लिए जिले के कलेक्टर द्वारा भूमि / भवन का विक्रय मूल्य सरकारी दरो का उन्मूलन धीरे धीरे चरणों में वास्तविक बाजार के मूल्य के बराबर निर्धारित कर दिया जाये जिससे अपने आप क्रय – विक्रय में काले धन का उपयोग समाप्त हो जायेगा|
रियल एस्टेट के अलावा दूसरा कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है की जो इतनी बड़ी संख्या में दबे काले धन को बाहर ला सके तथा जिसका प्रभाव इतनी बड़ी संख्या में इंडस्ट्रीज की उन्नति, बेरोजगारी दूर करने में सहायक हो|जब तक हर गली में चार मकान नहीं बन रहे होंगे , तब तक उत्पादन की माँग और मज़दूरों को काम नहीं मिलेगा ।
लेखक – संजीव जायसवाल
( फ़िल्म लेखक एवं निर्देशक )