करोना कहाँ से फैला या फैलाया गया ये तो जाँच का विषय है , जो आज नहीं तो कल दुनिया के सामने आ ही जाएगा । और शायद यही दुनिया का सबसे बड़ा महापाप कहलाएगा ।
लेकिन इस से इतर एक बात और विचार करने योग्य है , की कहीं ये प्रकृति का खुद को बचाने का सबसे बड़ा प्रयोग तो नहीं । आज पूरी दुनिया घरों में क़ैद है , फ़ैक्टरी , मिल , बड़े बड़े कारख़ाने सभी बंद हैं , बल्कि कहा जाय तो प्रकृति ने खुद ऐसे हालात बना दिए की सभी को ये एक साथ बंद करने पड़े । हवा में ज़हर घोलने वाले सारे वाहन बंद खड़े हैं , चक्का जाम है । बीच पर कूड़ा फैलाने वाले लोग घरों में क़ैद हैं । नदियों में गंदगी फैलाने वाले कारख़ाने बंद है । पेड़ काटना बंद है । वो सारे क्रिया कलाप जो प्रकृति को दूषित कर रहे थे सभी बंद है । प्रदूषण पिछले कुछ दिनो के लॉकडाउन से ही खतम होने के काग़ार पे है । हवा स्वक्क्ष हो रही है । नदियाँ साफ़ हो रही है ।
सुना है जालंधर से ३०० किलोमीटर दूर स्थित हिमालय नज़र आने लगा है । शायद क़रोना के अलावा किसी में इतनी ताक़त नहीं थी की एक साथ पूरी दुनिया को बंद करके सभी को घरों में क़ैद कर पाता । आज सिर्फ़ प्रकृति का राज है ।
अगर ध्यान से इस बात पे गौर किया जाय तो सभी को ये लगेगा की ये हम लोगों यानी हम मानव जाति के ख़िलाफ़ ये प्रकृति का न्याय है । हमें सतर्क हो जाना चाहिए । सरकार को बल्कि पूरी दुनिया को सतर्क हो जाना चाहिये ।उसपे विचार करना चाहिये । आगे ऐसी विपत्ति ना आए इसके रास्ते निकालने चाहिये ।
इसी संदर्भ में कहूँगा की देश के एक केंद्र शासित प्रदेश में वहाँ के मुख्यमंत्री द्वारा आड ईवेन का प्रयोग एक छोटा सा प्रयास था । दुनिया के सारी सरकारों को इस प्रयोग पर विचार करना चाहिए । सिर्फ शनिवार और रविवार को छुट्टी करने के बजाय अलग अलग हर जगह कारख़ाने , वाहन , ऑफ़िस की छुट्टियाँ की जानी चाहिए । प्रकृति को साँस लेने के लिए वक़्त देना चाहिए । वरना फिर १०० साल में आने वाली आपदा किसी और नाम से ५० साल में ही दस्तक देने लगेगी । ये युद्ध नहीं है , कोई दुश्मन नहीं है फिर भी सबसे ख़तरनाक है ।
लेखक – संजीव जायसवाल
(फ़िल्म लेखक और निर्देशक)
Noor Ansari (make up artist)
Hii sanjive sir…well said bahot hi accha aur sunder likha aapne. Aur bilkul sahi kaha..ye aapki baat logo Tak ek sandesh dega…aapki soch ko Salam..thank u
Ajay Tripathi
Absolutely right sir
Praveen Jaiswal Assistant costume designer
Dear Sanjeev Sir,
You have given a very good example, we are guilty of all this, we are ruining the nature, from the rivers to the sky, humans have spoiled it all.God only knows
Shiv Kumar Verma
Nice sir, For every action there is always equal and opposite reaction (Newton’s third law)
VIJAY KUMAR SHUKLA
The pollution levels have decreased considerably in the whole country due to this lockdown, which was not possible during regular days,
I think it would be a great step if the government implements lockdown on every weekend to curb the pollution in the country.
drsachin Jain
Well said Bhai Sahab
प्रकृति इंसान को अपनी ताकत का एहसास करा रही है क्योंकि इंसान अपने मध में चूर होकर सबकुछ भूल चुका है
Shiva
Really Sir,
Insaano Ke liye ye prakriti ki chetawani hai.
AKASH JAISWAL
यह सत्य है सर।।
लोग नहीं मानेंगे तो दुनिया तबाह हो जाएगी
Naveen Pandey
Absolutely right Sir….
Anand Verma
भैया अति सुंदर शब्द लिखा है आपने मैं उसका समर्थन करता हूं .आनंद वर्मा -लखनऊ
http://www.jungawaz.in