आज जहां पूरे देश , पूरी दुनिया में लॉकडाउन चल रहा है । सभी कुछ ठप हो गया है ।सरकारी ग़ैर सरकारी सभी संस्थान बंद है । दिन रात चलने वाली फ़िल्म इंडस्ट्री भी पिछले २५ दिनो से बंद चल रही है । लेकिन वहीं ओटीटी प्लैट्फ़ॉर्म यानी ओवर द टॉप स्ट्रीमिंग सर्विस ने स्ट्रीमिंग में लॉकडाउन पिरीयड में ही १३% बढ़ोतरी हासिल की है ।और इस समय घरों में बंद लोगों को अपना समय काटने का एक बड़ा माध्यम बन गया है । जहां ये अभी तक बड़े मेट्रो और सेकंड टियर के शहरों में ही मौजूद था । ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार इसने छोटे शहरों और गाँवो के युवा वर्ग में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है ।
भारत में सबसे ज़्यादा सब्स्क्राइबर के साथ सबसे आगे है हॉटस्टार दूसरे नम्बर पर है ऐमज़ॉन का प्राइम विडीओ फिर नेटफ़्लिक्स उसके बाद ऑल्ट बालाजी , जी -५ , एमएक्स प्लेअर , उल्लू और वूट जैसे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म तेज़ी से प्रचलित हो रहे हैं ।वहीं कुछ नए और बड़े प्लेयर्स मार्केट में आने को तैयार है जिसमें मुख्य है जोमटो का जोमटो ओरिजनलस , ओला का ओला प्लेयर्स और बाबा डिजिटल । सभी का एक साथ इस मार्केट में आने का मुख्य कारण है , इसकी तेज़ी से बढ़ती हुई लोकप्रियता ।और लोकप्रियता का कारण है , इस पर आने वाले स्ट्रोंग कांटेंट ।
ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म फ़िल्म इंडस्ट्री में आयी एक क्रांति की तरह है । जिसने आते ही पूरी मार्केट में हंगामा मचा दिया । जहां लोगों को अंतराष्ट्रीय स्तर के कांटेंट देखने का मौक़ा मिला वहीं लगातार फ़्लॉप हो रही फ़िल्मों की वजह से डूब रही फ़िल्म इंडस्ट्री को भी एक नया जीवन दे दिया ।ओटीटी प्लैट्फ़ॉर्म ने ना सिर्फ़ नामचीन निर्देशकों को काम दिया बल्कि कई नए निर्देशको, लेखकों , कलाकारों को भी अपनी कला दिखाने का बड़ा अवसर दिया ।वहीं सरकार को जी एस टी के रूप में एक अच्छा रेवेन्यू दे रहा है । लेकिन इसके साथ ही , अपने कांटेंट के बोल्ड्नेस की वजह से विवादों में भी घिर गया है ।
यू गोव नाम की एक युके की संस्था ने भारत में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म की सेंसरशिप को लेकर एक सर्वे किया गया जिसमें निकल कर आया कि ५७% लोग चाहते हैं कि इस पर आने वाले कांटेंट पर सेंसर का नियंत्रण होना चाहिए ।बाक़ी ४३% लोग इस पर सेंसर शिप के ख़िलाफ़ है । इस सर्वे में एक आश्चर्यजनक बात निकल कर आयी की भारत की महिलाएँ पुरुषों से ज़्यादा इसके स्ट्रॉंग कॉंटेंट की पक्षधर हैं । ओटीटी प्लैट्फ़ॉर्म के कांटेंट पे अभी तक कोई सेंसर नहीं है । सभी कंपनियों ने अपने कांटेंट को सेल्फ़ सेंसरशिप के हिसाब से बाँट रखा है । पिछले दिनो देश में इस पर सेंसर लगाने की माँग भी ज़ोर शोर से उठी । पर अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है । कई सामाजिक संस्थाओं को इसपे आने वाले कांटेंट के विषय पर उसमें इस्तेमाल की जाने वाली भासा और पिकचराइजेसन पर शिकायत है , उनका कहना है की ये देश के युवा वर्ग पर बुरा असर डालेगा । लेकिन फ़िल्मकारों का कहना है , कि अगर हमें विश्वस्तरीय कांटेंट से मुक़ाबला करना है , तो सारे बंधनो से बाहर रह कर ही काम करना होगा । आज़ादी के साथ अपनी कला को पेश करने का ये अनोखा प्लेटफ़ॉर्म है ।
ओटीटी प्लाट्फ़ोर्म पे सेंसर होना चाहिए या नहीं ये एक लम्बी बहस का मुद्दा है । लेकिन ये सत्य है , कि दुनिया की फ़िल्म इंडस्ट्री में बॉलीवुड का एक बड़ा हिस्सा है , एक बड़ी पहचान है । इस लिए इसे बंधनो से मुक्त रहना ही चाहिए , ताकि भारत के फ़िल्मकार भी विश्वस्तरीय सिनेमा से मुक़ाबला कर सके । कियूँकि जिस तरह पिछले कुछ सालों में फ़िल्मों के ऊपर अधिकृत चलचित्र बोर्ड के सेंसर के बावजूद कुछ सामाजिक संस्थाओं ने उसे बैन करने और ज़ोर ज़बर्दस्ती से सिनेमा घरों में रोकने का प्रयास किया , उस से सभी फ़िल्मकार चिंतित हुए कि कैसे किस आधार पे वो अपना सिनेमा बनाये । ऐसे समय में ये ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म उन सभी के लिए एक नई दिशा साबित हुई ।
ओटीटी प्लेटफ़ोर्म ने छोटे और इंडिपेंडेंट निर्माताओं के लिए भी एक नया रास्ता खोल दिया है । आज भी पूरे देश में माँग के अनुरूप थियेटर की संख्या बहुत कम है । जिसकी वजह से छोटी फ़िल्मों को थियेटर मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है । ऐसे में उनके लिए ओटीटी ने एक नया रास्ता खोल दिया । आज कई फ़िल्में थियेटर के बजाय सीधे ओटीटी पे रिलीज़ हो रही है ।
ओटीटी पलटेफ़ॉर्म को आज तीसरे पर्दे का नाम दिया जा रहा है । और उम्मीद की जा रही है कि ये ही आने वाले वक्त में फ़िल्मों और विज़ूअल कांटेंट का सबसे बडा मार्केट बन के उभरेगा ।ये प्लेटफ़ॉर्म जहां सभी के लिए इतना कुछ ले कर आया है , उसके साथ ये ख़तरा भी ले कर आया है कि कहीं इसका दुरपयोग कर निम्नस्तर के निर्माता और निर्देशक इसे कचरा पेटी ना बना दें ।इसे किसी भी हालत में इस से बचाना होगा , इसके लिए सिर्फ़ प्लाट्फ़ोर्म और निर्माताओं को ही नहीं दर्शकों को भी ये ध्यान रखना होगा की वो अच्छे कांटेंट को ही देखें और सराहें । ताकि अच्छें निर्माता प्रोत्साहित हों और बेहतर विश्वस्तरीय कॉंटेंट बना कर पेश करें ।
– संजीव जायसवाल
(फ़िल्म लेखक एवं निर्देशक )
RAJENDRA PAL
Nice